कैसे हो भाई? एकदम बिंदास। किसी-किसी को झक्कास भी कहते सुना होगा। ऐसा लगता है कि बिंदास और झक्कास एक ही मां के दो पूत हैं। खैर, जब किसी के मुंह से यह सुनते हैं तो चेहरे पर एक स्माइल तैर जाती है। आखिर हो भी क्यों न! इस शब्द ने अपनी सीमा से परे होकर एक अलग खूबसूरती दी है। वैसे भी आजकल हर कोई बिंदास दिखना चाहता है।
आजकल इस बिंदास ने अपनी सीमा से परे भी अपना बसेरा खोज लिया है। देश-दुनिया की खबरें हो या फिर ग्लैमर की, आज हर जगह इसकी पूछ है। नौटंकी के मंच से मुंबइया सिनेमा के बड़े परदे तक इसकी धमक दिखती है। दूसरों को तो गोली मारिए, एक टीवी चैनल (यूटीवी बिंदास) ने तो अपना नाम भी बिंदास के साथ जोड़ रखा है। बात यहीं आकर खत्म नहीं होती है। अब तो बाबाओं के साथ उनके चेले भी बिंदास नजर आते हैं। टीवी पर दिखने-दिखाने को लेकर योग, ध्यान और प्रवचन का रूप अलग नजर आता है।
किंगफिशर के कैलेंडर की मांग आज भी खूब है। डब्बू रतनानी जैसे फोटोग्राफरों के सामने दिलकश मॉडलों की खूबसूरती कैमरे के एंगल के साथ ही पल छिन बदलती है। यदि आपके कमरे में किंगफिशर का कैलेंडर हो तो दोस्तों की महफिल में आपकी रंगत कुछ और होती है, ठीक बिंदास जैसी। कुछ ऐसे भी खुशनसीब हैं जो इसका नयनसुख दूसरों के घरों में देखकर बुझाते हैं। जिनका पॉकेट अनुमति नहीं देता ऐसे भाग्यवान इंटरनेट पर अपनी प्यास बुझाते हैं।
तसवीरों के दुनिया में बिंदास का अपना ही मजा और सजा है। मैग्जीन के कवर पेज पर आने के लिए खुद को न्यूड करना आजकल फैशन बन गया है। प्लेब्वॉय मैगजीन तो बस इसी के लिए जाना जाता है। यही बात पेटा (पीपुल फॉर द इथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स) के लिए फोटो शूट करने वाले हमारे फिल्मी कलाकारों के लिए भी आम है। पशुओं को बचाने के नाम पर खुद को नग्न करना इन फिल्मी हस्तियों के लिए बिंदासपन बन गया है।
सिगरेट की कश लेते और बगल चलती लड़कियों पर कमेंट करना भी आजकल बिंदासपन का हिस्सा बन गया है। यदि आप दोस्तों की महफिल में खुद को अनर्गल बातों से दूर रखते हैं तो यह आपकी कमी मानी जाती है। शराब और शबाब को इसने अपने आगोश में ले लिया है। लंबी-चौड़ी रास्तों पर तेज बाइक चलाना और यमराज को न्यौता देना इसकी एक अलग मिसाल बनकर उभरी है। क्या कोई मौत से दोस्ती कर बिंदास होना चाहेगा, कदापि नहीं। पर हमारे युवाओं को भला कौन समझाएं, वे तो इसी को बिंदास होना मानते हैं।
तो आप कब बिंदास बन रहे हैं?????