गुरुवार, 29 जुलाई 2010

मास्टर ब्लास्टर सचिन का डबल धमाका

रिकॉर्डों के बादशाह की एक और छलांग। मुश्किल हालात में श्रीलंका के खिलाफ दोहरा शतक ठोका। कुल मिलाकर पांचवां दोहरा शतक। टेस्ट में 48 वीं सेंचुरी। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कुल 94 सेंचुरी (वनडे में 46 औट टेस्ट में 48 शतक)। यानी शतकों के सैकड़े से महज छह शतक दूर। पर रनों की भूख अभी भी बरकरार। सच में सचिन तो पुराने शराब की तरह और नशीले होते जा रहे हैं। प्रशंसकों के मुख से ‘क्रिकेट का भगवान’ यूं ही उवाच नहीं होता।

हर पारी और रन के साथ एक अनोखा रिकॉर्ड उनके साथ जुड़ रहा है। ऐसा लगता है कि वे रिकॉर्डों के शिखर पर खड़े हों। मास्टर ब्लास्टर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे विपक्षी टीम के अलावा खुद के खिलाफ भी खेलते हैं। यानी मैच दर मैच में उनकी भूख बढ़ती ही जाती है। गुणगान गाथा के लिए यूं तो दुनिया के हर कोने में सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट आलोचक मौजूद हैं। पर एक आम क्रिकेट प्रेमी के लिए तो हर शॉट ही दर्शनीय है। उन्हें बल्लेबाजी करते देख ऐसा लगता है कि हाथ की लोच के साथ गेंद बल्ले को छूकर बाउंड्री को क्रॉस कर रही हो। और मैदान में मौजूद हर खिलाड़ी उसे बस निहार रहा हो। मैदान में खिलाड़ियों को भेदकर शॉट मारना मंत्रमुग्ध करता है। हर शॉट को आप निहारते रहेंगे और पता ही नहीं चलेगा कि किस शॉट से उसने पारी की शुरुआत की और किससे खत्म।

वैसे तो उनकी कई खूबियां हमें लुभाती है। पर, एक बात जो उनमें खास है, वह है उनकी विनम्रता और सच्चाई। फील्ड के अंदर और बाहर वह हर प्लेयर के लिए आदर्श हैं। आप उन्हें रोजर फेडरर, पेले, ब्रैडमैन, कार्ल लुइस, पीट संप्रास जैसे महान खिलाड़ियों की अग्रिम पंक्ति में आंख मूंदकर शामिल कर सकते हैं। वैसे क्रिकेट का यह महान प्लेयर खुद टेनिस का बड़ा प्रशंसक है। खाली समय में आप उन्हें बिंबलडन का मैच का लुत्फ उठाते जरूर देखते होंगे। खैर सचिन का यह सफरनामा कुछ शब्दों में बयां करना मुश्किल है। एक प्रशंसक की तो यही दुआ है कि भारत का यह ‘कोहिनूर’ हमेशा क्रिकेटीय आकाशगंगा में चमकता रहे।