शनिवार, 27 सितंबर 2008

कितने मरे...

...बम ब्लास्ट और दिल्ली दहल उठी. महरौली के सराय मोड़ मार्केट में दो धमाके हुए. एक बार फिर सुरक्षा एजेंसियों की पोल खुली. दो सप्ताह के भीतर दो ब्लास्ट कर आतंकियों ने अपने मंसूबे दिखा दिए. सरकारी आंकडों पर नजर दे तो इस धमाके में दो लोगों की मौत हुई और करीब दो दर्जन लोग घायल हुए. यह धमाका शनिवार, तारीख २७ सितम्बर २००८ को हुआ. शुरूआत में लोगों को लगा की यह हादसा गैस सिलिंडर के फटने से हुआ. पर यह जल्द ही स्पष्ट हो गया कि यह किसी सुनियोजित आतंकी साजिश का नतीजा है. खैर ब्लास्ट के बाद मरने वालों की संख्या को लेकर अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया है.
पहली बार जब ख़बर आयी तो एक टीवी चैनल ने मृतकों की संख्या चार बताई तो किसी ने तीन. दूसरे चैनल पर भी मृतकों की संख्या को लेकर इक-दो का अन्तर रहा. सभी चैनल वालों का न्यूज़ कार्यक्रम फुस्स हो गया और बाज की तरह वे इस ब्लास्ट वाली न्यूज़ पर झपट पड़े. मृतकों और घायलों के लेकर सभी चैनल वालों में होड़ लगी रही. उस समय कोई अख़बार भी नहीं छप सकता था इसलिए अख़बार के इन्टरनेट संस्करण में इसको लेकर संशय बनी रही. कुछ लोग तो आँख मूंदकर मरने वालों की संख्या चार तक लेकर पहुँच गए. बाद में भी मृतकों की संख्या को लेकर कयाशबजी चलती रही. आखिरकार सरकार ने मरनेवालों की संख्या दो बताई. और सभी टीवी और अखबारों ने मृतकों की संख्या दो बताकर इतिश्री कर दिया. पर एक सवाल अनुतरीत ही रह गया कि आख़िर इस ब्लास्ट में कितने मरे????????????

शनिवार, 13 सितंबर 2008

सफर

सफर में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में, तुम निकल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराके अगर तुम संभल सको, तो चलो।

शुक्रवार, 5 सितंबर 2008

चुप रहो कर्स्टन भईया

हमारे कर्स्टन भईया बोले कि माही यानी धोनी महोदय अब टीम इंडिया के कप्तान बनने लायक हो गए हैं। इसलिए उन्हें यह ताज सौंप देना चाहिए। पर ये क्या, कर्स्टन भईया के बोलते ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड गुस्से शेर की भांति गुर्रा उठा. उसने तत्काल तुगलकी फरमान जारी कर दिया. बोर्ड के अधिकारी निरंजन शाह गुर्राए हे कर्स्टन भईया. ज्यादा मत बोलो आप. नहीं तो ठीक नहीं होगा आपके लिए. अपने सीमा से बाहर बोलिएगा तो हमसे बुरा कोई ना होगा.
आख़िर शाहजी बोले भी तो क्यों नहीं। आख़िर हमारे स्टार खिलाड़ियों के खिलाफ कौन बोल सकता है। खासकर बात जब स्टार चौकरी खिलाड़ियों की हो तो फिर हिम्मत किसकी बनती है. कर्स्टन भईया का बस इतना ही दोष था कि उन्होंने टीम में पिछले रिकॉर्ड की अपेक्षा अभी के प्रदर्शन को टीम में आने का पैमाना बताया था. वे भूल गए हम इंडियन ज्यादा स्टार वाले खिलाड़ी को महत्व देते हैं.
बात यदि सचिन की हो तो पाँच स्टार. और फ़िर बात सौरभ-राहुल की हो तो तीन स्टार. दो स्टार वाले श्रेणी में लक्ष्मण और कुंबले वाले खिलाड़ी आते हैं. खैर वही हुआ और हमारे कर्स्टन भईया ने अपनी जुबान बंद करने में ही भलाई समझी. अब फिर से वही स्टार से भरी टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देशों के खिलाफ खेलेगी. हम एक-दो टेस्ट सीरीज़ हारेंगे और कप्तानी पर बहस होगी. पर इससे टीम को कितना फायदा होगा, कोई नहीं जानना चाहता. आख़िर क्यों? है इसका जवाब किसी के पास...