शुक्रवार, 5 सितंबर 2008

चुप रहो कर्स्टन भईया

हमारे कर्स्टन भईया बोले कि माही यानी धोनी महोदय अब टीम इंडिया के कप्तान बनने लायक हो गए हैं। इसलिए उन्हें यह ताज सौंप देना चाहिए। पर ये क्या, कर्स्टन भईया के बोलते ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड गुस्से शेर की भांति गुर्रा उठा. उसने तत्काल तुगलकी फरमान जारी कर दिया. बोर्ड के अधिकारी निरंजन शाह गुर्राए हे कर्स्टन भईया. ज्यादा मत बोलो आप. नहीं तो ठीक नहीं होगा आपके लिए. अपने सीमा से बाहर बोलिएगा तो हमसे बुरा कोई ना होगा.
आख़िर शाहजी बोले भी तो क्यों नहीं। आख़िर हमारे स्टार खिलाड़ियों के खिलाफ कौन बोल सकता है। खासकर बात जब स्टार चौकरी खिलाड़ियों की हो तो फिर हिम्मत किसकी बनती है. कर्स्टन भईया का बस इतना ही दोष था कि उन्होंने टीम में पिछले रिकॉर्ड की अपेक्षा अभी के प्रदर्शन को टीम में आने का पैमाना बताया था. वे भूल गए हम इंडियन ज्यादा स्टार वाले खिलाड़ी को महत्व देते हैं.
बात यदि सचिन की हो तो पाँच स्टार. और फ़िर बात सौरभ-राहुल की हो तो तीन स्टार. दो स्टार वाले श्रेणी में लक्ष्मण और कुंबले वाले खिलाड़ी आते हैं. खैर वही हुआ और हमारे कर्स्टन भईया ने अपनी जुबान बंद करने में ही भलाई समझी. अब फिर से वही स्टार से भरी टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देशों के खिलाफ खेलेगी. हम एक-दो टेस्ट सीरीज़ हारेंगे और कप्तानी पर बहस होगी. पर इससे टीम को कितना फायदा होगा, कोई नहीं जानना चाहता. आख़िर क्यों? है इसका जवाब किसी के पास...

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