गुरुवार, 18 दिसंबर 2008

जरा याद उन्हें भी कर लो...

ए मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी...
जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी।
ये वो लफ्ज हैं जिन्हें सुनकर हर भारतीय की आंखें नम हो जाती है। स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने इस गीत को दर्दभरी आवाज दी तो हमारे प्रिय चाचा नेहरू भी अपने आंसू नहीं रोक पाए थे। कुछ ऐसी ही ताकत थी जन-जन के कवि प्रदीप की। उनकी लेखन शक्ति ने हर हिंदुस्तानी के दिल में जोश-उमंग भर दिया। ११ दिसंबर २००८ को प्रदीप की १०वीं पुण्यतिथि थी। इसी अवसर पर हम आम भारतीय इस ओजस्वी कवि का नमन करते हैं।
कवि प्रदीप का जन्म १९१५ में मध्य प्रदेश में हुआ था। उनका असली नाम था रामचंद्र द्विवेदी। बचपन में ही उनमें लेखन और कविता में गहरी रुचि थी। बाद में उन्होंने मायानगरी मुंबई में किस्मत आजमाने के लिए दस्तक दी। शुरुआती संघर्षों के बाद उनकी किस्मत खुली १९४३ में आई फिल्म 'किस्मत ’ से। 'आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है, दूर हटो॥ दूर हटो ऐ दुनियावालों हिंदोस्तान हमारा है॥। ’ यह गाना उस दौर में बहुत ही लोकप्रिय हुआ और कवि प्रदीप अपना सिक्का जमाने में कामयाब रहे।
कहते हैं कि अंग्रेज इस गीत से इस कदर परेशान हो गए कि उन्होंने कवि प्रदीप के खिलाफ वारंट निकाल दिया था। पर गानों की लोकप्रियता का कहना ही क्या। दर्शकों की फरमाइश पर सिनेमा हॉल में फिल्म की रील रिवांइड कराकर फिर से इसे सुनाया जाता था। १९५४ में 'जागृति ’ के गानों ने धूम मचा दी। इस फिल्म के गाने सिर्फ स्वदेश में ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान में भी काफी लोकप्रिय हुए। पाकिस्तान में 'जागृति ’ की रीमेक 'बेदारी ’ बनी तो, इसमें 'देश ’ की जगह 'मुल्क ’ कर दिया गया। और यह गीत बन गया.. 'हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के, इस मुल्क को रखना मेरे बच्चों संभाल के ’।
कुछ इसी तरह 'दे दी हमें आजादी ... ’ का पाक संस्करण कुछ यूं आया। 'यूं दी हमें आजादी कि दुनिया हुई हैरान, ऐ कायदे आजम तेरा एहसान है एहसान ’। 'बेदारी ’ फिल्म का एक और गाना बन गया 'आओ बच्चे सैर कराएं तुमको पाकिस्तान की, जिसकी खातिर हमने दी कुर्बानी लाखों जान की ’।सिनेमा में अमूल्य योगदान के लिए कवि प्रदीप को १९९८ में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया। सच में कवि प्रदीप आज हमारे बीच में नहीं हैं, पर प्रदीप की लेखन शक्ति की लौ आज भी हर भारतीय के दिल में प्रज्वलित है।

1 टिप्पणी:

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

यह गीत आज भारतीय मे अमर हो गया है। जब तक यह गीत गाया जायेगा कवि प्रदीप भी हमारी स्मृति मे रहेगे।
महाशक्ति