महाराष्ट्र विधानसभा में एमएनएस विधायकों के कुत्सित खेल से भारतीय लोकतंत्र एकबार फिर शर्मसार हुआ। एमएनएस के विधायकों ने हिंदी में शपथ ले रहे सपा विधायक अबु आजमी का माइक छीन लिया और उनके साथ हाथापाई की। बात यहीं तक नहीं रुकी, उन्होंने सभी विधायकों को मराठी में ही शपथ लेने को कहा। लोकतंत्र भवन में यह तानाशाही, आखिर क्यों? दुर्भाग्य से यह सारा तमाशा मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के सामने हुआ और खामोशी से वे इस 'ऐतिहासिक’ घटना के गवाह बने। आखिर इस चुप्पी के पीछे छिपी ओछी राजनीति का यह कुत्सित खेल कब तक चलता रहेगा?
राज ठाकरे की यह तानाशाही किसी से छुपी नहीं है। कोर्ट से लेकर समाज के हर तबका ने राज के इस नीति का पुरजोर विरोध किया है। पर लोकतंत्र की एक कड़वी सच्चाई यह है कि आप जितना चर्चा में रहते हैं, आपकी लोकप्रियता उतनी ही बढ़ती जाती है। यही सच हमारे-आपके गले की फंदा बन गई है। राज ने इस तरह का कुत्सित खेल पहले भी खेला है। पहले वे रेलवे स्टेशनों पर परीक्षा देने आए सोए छात्रों पर लाठी बरसाते थे। और अब वही कारनामा विधानसभा में दुहरा रहे हैं।
राज के इस फंदे की डर से हजारों हिंदी भाषियों को मुंबई और अन्य शहरों से भागना पड़ा। पर राजनीति के अजीबोगरीब चक्रव्यूह के कारण सत्तासीन लोगों ने उनकी नकेल नहीं कसी। आज वही राज के कथित 'गुंडे’ लोकतंत्र भवन में अपनी 'गुंडागर्दी’ दिखा रहे हैं। चव्हाण साहब शायद भूल गए हैं कि जिस भस्मासुर को वो बढ़ावा दे रहे हैं, एक दिन वहीं उनके पतन का कारण बनेगा।