रविवार, 18 सितंबर 2011

'आदि' नाम है मेरा....

आइए मैं अपनी कहानी सुनाता हूं....यह कहानी है ऐसे बच्चे की जो सबका प्यारा-दुलारा है...

मेरा नाम 'आदि' है...यानी 'आदित्य नयन'। पर पूरा नाम तो बोलने आता नहीं, इसलिए मैं खुद को 'आदि' बुलाता हूं। सभी लोग मेरा ही नकल कर 'आदि' नाम से बुलाते हैं।

वैसे मैं सबका प्यारा हूं...इसमें मेरी मम्मी, पापा, छोटी मम्मी, बाबा, दाई मां, बा (नाना), मां (नानी), मामा और न जाने कई सारे लोग शामिल हैं...पर सच में मैं हूं सबका दुलारा....

हूं मैं बहुत ही नटखट, प्यारा और मासूम...यदि मेरी पसंद की चीज न मिले तब ही मैं 'बदमाश' सा लगता हूं। मुझे टॉफी, ठंडा (कोल्ड ड्रिंक), समशा (समोशे), हमजा (हाजमोला), सेंटी (परफ्यूम) बेहद पंसद है। शाम में पापा के साथ ऑफिस जाने का मजा लेता हूं..वहां पर झूले पर बैठने का मजा ही कुछ और है, बशर्ते उस पर कोई और बच्चा न हो।

कभी-कभी गुस्से में मम्मी मुझे डांट देती हैं, वैसे वह मुझे प्यार भी सबसे ज्यादा करती है। आखिर भाई करे क्यों नहीं, मैं उनका राज-दुलारा जो ठहरा।

टीवी पर मैं एक ही प्रोग्राम देखता हूं..बी वाला (9XM पर बड़े-छोटे)। पुराने गाने मुझे पंसद नहीं....आजकल बॉडीगार्ड का 'तेरी मेरी प्रेम कहानी...' अच्छा लगता है।

आजकल मैं ताकत बढ़ाने के लिए रोजाना हॉर्लिक्स पीता हूं...पापा कहते हैं इससे बॉडी बनेगा और मैं ऑफिस (पार्क) में बच्चों के साथ ढिशुम-ढिशुम करूंगा...

आजकल पापा ने मुझे एक किताब लाकर दी है...इसमें पंतंग (पतंग), एप्पल, टीवी, फैन न जाने कैसे-कैसे फोटो हैं...अरे हां फोटो से मुझे याद आया कि पापा के मोलो (मोबाइल) में मेरे कई सारे फोटो हैं...कभी मिले तो वह सारे फोटो दिखाऊंगा...

ओके...बाय...

कोई टिप्पणी नहीं: