बुधवार, 9 मई 2012

वक्त ने किया क्या हसीं सितम...

वक्त ने किया क्या हसीं सितम,
तुम रहे ना तुम, हम रहे ना हम..

बेकरार दिल, इस तरह मिले,
जिस तरह कभी हम जुदा न थे..
तुम भी खो गए, हम भी खो गए..
एक राह पर चल के दो कदम..

वक्त ने किया क्या हसीं सितम,
तुम रहे ना तुम, हम रहे ना हम..

जाएंगे कहां, सूझता नहीं..
चल पड़े मगर, रास्ता नहीं..
क्या तलाश है, कुछ पता नहीं..
बुन रहे हैं दिन, ख्वाब दम-बदम

वक्त ने किया क्या हसीं सितम,
तुम रहे ना तुम, हम रहे ना हम..

यह खूबसूरत नगमा 'कागज के फूल' का है जिसे मशहूर शायर कैफी आजमी ने लिखा था। आजमी साहब हमारे बीच नहीं हैं, पर उनके दर्दभरे अल्फाज हमारे दिल में हमेशा मौजूद रहेंगे

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