मोहाली टेस्ट में शतकीय पारी के बाद भले ही राहुल द्रविड़ ने सहजता से बल्ले से ड्रेसिंग रूम के साथियों और दर्शकों का अभिवादन किया हो। पर उनकी यह शतकीय पारी उनके लिए कितनी अहमियत रखता है, उनके अलावा इससे ज्यादा कोई भी नहीं जानता। द्रविड़ आरंभ से ही भारतीय क्रिकेट टीम के धुरी रहे हैं। अजहरुद्दीन की कप्तानी में लॉड्र्स के मैदान में उन्होंने अपने क्रिकेट कैरियर का शुरुआत किया। और तब से वे अन्य 'खिलाडिय़ों ’ के अपेक्षा टीम के लिए खेलते रहे। इसलिए उन्हें कभी 'टीम मैन ’ का खिताब मिला तो कभी 'द वाल ’ का।
द्रविड़ ने सदा अपनी काबिलियत और प्रदर्शन के बूते टीम को संकट से उबारा। कुछ खिलाडिय़ों की एक-दो पारियां खास मानी जाती है। पर यदि द्रविड़ के कैरियर पर निगाहें डालें तो यह कहना मुश्किल होता है कि उनकी कौन सी पारी सर्वश्रेष्ठï है। लक्ष्मण के साथ ईडेन गार्डन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई १८० रनों की पारी। या फिर पाकिस्तान दौरे में २७० रनों की पारी खेलकर एक नई ऊंचाई को हासिल करना। एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली पारी में दोहरा शतक और दूसरी पारी में नाबाद पचासा ने टीम इंडिया को जीत का स्वाद चखाया था। वेस्टइंडीज दौरे में जहां सभी बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा पाने को तरस रहे थे, वहीं द्रविड़ ने अकेले मैदान पर डटकर गेंदबाजों का सामना किया। द्रविड़ के खाते में कई शतकीय पारी और रिकॉर्ड दर्ज हैं। वे एक ऐसे अनमोल खिलाड़ी रहे हैं, जिन्होंने टीम के लिए कप्तानी, विकेटकीपिंग, बॉलिंग और बल्लेबाजी की। और फील्डिंग में तो उनको सदा महारत हासिल रही। वे एक ऐसे कप्तान रहे, जिन्होंने इंग्लैंड के सफल दौरे के बाद कप्तानी छोडऩे की घोषणा की। क्या किसी कप्तानी में इतना साहस होगा कि वे सफलता के मुकाम पर पहुंचकर टीम का कमान किसी और को सौंप दे।
और जब धोनी के नेतृत्व में टीम घरेलू मैदान पर शानदार प्रदर्शन कर रही है। तो सभी क्रिकेट विश्लेषकों की निगाहें विदेशी दौरे पर होगी। और यह बात हर कोई जानता है कि विदेशी दौरे पर 'विश्वसनीयता की छाप ’ द्रविड़ की शर्ट पर ही लग सकती है।
2 टिप्पणियां:
सही कहा आपने।
बिल्कुल ठीक ! यही सही तरीका है | खेल में मज़ा आ गया |
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