मास्टर जी उसे सिखाना
समय भले ही लग जाय, पर
यदि सिखा सको तो उसे सिखाना
कि पाए हुए पांच से अधिक मूल्यवान-
स्वयं एक कमाना
पाई हुई हार को कैसे झेले,
उसे यह भी सिखाना
और साथ ही सिखाना,
जीत की खुशियां मनाना
यदि हो सके तो ईष्र्या या द्वेष से परे हटाना
और जीवन में छिपी
मौन मुस्कान का पाठ पढ़ाना
जितनी जल्दी हो सके उसे जानने देना
कि दूसरों को आतंकित करने वाला
स्वयं कमजोर होता है।
(अब्राहम लिंकन द्वारा अपने पुत्र के शिक्षक को लिखे गए पत्र का एक अंश)
1 टिप्पणी:
बहुत सही.
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