बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

मुंबई में अराजकता का आलम

मुंबई में शिवसेना और मनसे की तानाशाही चरम पर है। 'मराठी मानुष ’ के स्वयंभू ठेकेदार बाल ठाकरे ने सभी लोगों को चेताया है कि उनकी हर हुक्म की तामील हो या फिर परिणाम भुगतने के लिए सभी (गैर मराठी!) तैयार रहें। आखिर एक तानाशाह से इससे अधिक क्या उम्मीद की जा सकती है? भले ही उनकी खुद की पैदाइश महाराष्टï्र से बाहर हुई हो।

सबसे अजीब बात यह है कि दुनिया के सबसे बड़े (कथित) लोकतांत्रिक देश में यह तानाशाही है और हर कोई सर झुकाकर इसे भोगने को मजबूर है। यह पहली बार नहीं है कि ठाकरे परिवार ने इस तरह का दुस्साहस किया हो। सिर्फ 'मराठी अस्मिता ’ के नाम पर रोटियां सेकने वाले इन नेताओं की मंशा से हर कोई वाकिफ है। मुंबई में ताजा हालात देखकर तो यही लगता है कि ठाकरे की बात नहीं माननेवालों का वहां कोई खैर नहीं।

आईपीएल-3 में विदेशी खिलाडिय़ों को शामिल करने पर कोलकाता नाइटराइडर्स के मालिक शाहरुख खान ने जुबान की क्या थोड़ी सी ढील दी, उनकी तो शामत ही आ गई। तुरंत तुगलकी फरमान जारी हुआ कि मुंबई के सभी सिनेमाघर उनके आगामी फिल्म 'माई नेम इज खान ’ को रिलीज न करें। फरमान पर तत्काल अमल हुआ और कई सिनेमाघरों ने फिल्म के पोस्टर हटा दिए या फिर फाड़ डाले। यह जानते हुए भी कि फिल्म रिजील नहीं करने पर निर्माता और डिस्ट्रीब्यूटर के साथ-साथ उन्हें भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। फिर भी, ये लोग खुद के रोजी-रोटी पर लात मारने को मजबूर हैं।

क्या बाल ठाकरे यह नहीं जानते कि 'सामना ’ का हर शब्द किसी न किसी की रोटी छीन लेता है? पर ठाकरे को भला इससे क्या जरूरत! राजनीति मंच के वे काफी ही मंजे खिलाड़ी हैं। वे जानते हैं कि शरीर भले ही साथ नहीं दे, जुबान की लड़ाई में वे अपने विरोधियों पर वार करते रहेंगे। सोनिया और राहुल गांधी पर निशाना साधकर भले ही वो अपना राजनीतिक हित साध लें, पर इससे आम मराठियों का कोई हित नहीं होने वाला है।

महाराष्टï्र और देश से बाहर उनकी छवि जो बनी है, इसकी भरपाई आखिर कौन करेगा? सिर्फ सत्ता की राजनीति करने वाले ये ठाकरे नहीं जानते कि पिछले कुछ चुनावों से हर बार इसी मराठियों ने उन्हें ठुकराया है। हर बार शक्ति क्षीण होने के बावजूद ठाकरे सिर्फ गुरर्राकर अपनी भड़ास निकालते हैं। सच में सत्ता का एक बार स्वाद चखने के बाद उसे फिर पाने को आतुर ये कथित रहनुमा कब तक देश को जलाते रहेंगे?

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

दुखद एवं अफसोसजनक.

निर्मला कपिला ने कहा…

इन देश के गद्दारों को जब तक जनता इनके दबडे से बाहर खींच कर जूते नही लगायेगी तब तक ये देश को तोडने की बात करते रहेंगे । अच्छा लिखा आपने शुभकामनायें

Unknown ने कहा…

swarth aur rajniti in dono k bich atut rishte ko ujagar karne k liye dhanyabaad..................