शनिवार, 22 मई 2010

आईएसआई का बढ़ता मकड़जाल

बहुत दिनों पहले आमिर खान अभिनीत ‘सरफरोश’ फिल्म आई थी। इसमें आईपीएस ऑफिसर राठौड़ (आमिर खान) को देश के अंदर मौजूद आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोगों से लोहा लेता दिखाया गया है। साथ ही पड़ोसी मुल्क के लोग भी हमारे असंतुष्ट देशवासियों को अपनों के विरूद्ध मदद करते हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई नक्सलियों को हथियार और पैसे की मदद देकर देश में तबाही मचाने को उकसाते हैं।

कितनी दुख की बात है कि परदे पर दिखने वाले ये काल्पनिक पात्र सच्चाई में आज भी हमारे देश में मौजूद हैं। अभी तक सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों को संदेह था कि आईएसआई हिंदुस्तान में विघटनकारी तत्वों को बढ़ावा दे रही है। पर, मेघालय के सक्रिय आतंकी संगठन जीएनएलए के प्रमुख आर संगमा का बयान हमें चौंकाता है। संगमा स्पष्ट करते हैं कि आईएसआई ने उन्हें भारतीय सुरक्षाबलों से लड़ने में मदद की पेशकश की थी। हालांकि मदद की लेनदेन को लेकर दोनों में क्या बातचीत हुई, इसका खुलासा करने से उन्हें परहेज है।

छत्तीसगढ़ में हालिया हुए नक्सली वारदातों से यह साबित हुआ कि देश के अंदर मौजूद दुश्मनों को हमारे पड़ोसी मुल्क का वरदहस्त है। इन नक्सलियों को सिर्फ हथियार और पैसे की मदद नहीं मिल रही है। बल्कि, उन्हें सुनियोजित तरीके से प्रशिक्षित किया जा रहा है। पता नहीं, हमारे देशवासी कब चेतेंगे।

अपने ही देशवासियों के खिलाफ हथियार उठाना कतई सही नहीं है। और फिर मारकाट मचाकर तबाही फैलाना कहां का न्याय है? क्या यह सचमुच अधिकार की लड़ाई है? दुख तो तब होता है जब हमारे कुछ राजनेता राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए इन हत्यारों के पक्ष में खड़े दिखाई देते हैं। महज चंद वोटों के लिए लोकतंत्र के ये रहनुमा लोकतंत्र की हत्या करने पर उतारू हैं।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

संगमा जी ने तो इसलिए बता दिया क्योंकि उन्होंने देश से गद्दारी करने से मना कर दिया पर यहां तो सेकुलर गिरोह की एक बड़ी भीड़ मिडीय सहित देश के शत्रुओं के हाथों विक चुकी है इसे वेनकाव करने का हम भी प्रयत्न कर रहे हैं आप भी करें तो बहुत बढ़िया
आपका प्रयास बहुत अच्छा है