शनिवार, 29 जनवरी 2011

ईडन में क्रिकेट बोल्ड!


आखिर एक बार फिर क्रिकेट की हार हुई। अब यह बिल्कुल तय हो गया है कि 27 फरवरी को कोलकाता के ईडन गार्डंस में भारत-इंग्लैंड के बीच मैच नहीं होगा। पवार और डालमिया के बीच लड़ाई में भले ही किसी की हार-जीत हुई हो, पर पराजय तो क्रिकेट की हुई। आखिर यह समझ से परे है कि जिस आईसीसी का चीफ एक भारतीय हो, वही संस्था ईडन से मैच छीनने की बात करता है। क्या किसी व्यक्ति का अहम राज्य और देश की इज्जत से भी बड़ा है? दुख की बात यह है कि इनमें से आज एक संविधान की शपथ लेकर केंद्र में मंत्री बनकर मजा लूट रहा है।

यह बड़े आश्चर्य की बात है कि ईडन गार्डंस में तैयारियों को लेकर बीसीसीआई और कैब (क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल) के माथे पर तब तक नहीं बल पड़े, जब तक आईसीसी ने तैयारियों पर सवाल नहीं उठाए। एक बार मैच हाथ से फिसलता देख बोर्ड के आला सुखभोगी अधिकारी के कान खड़े हो गए। मीडिया और आम लोगों में जब थू-थू होने के बाद बीसीसीआई ने आईसीसी से और एक सप्ताह देने की गुहार लगाई। पर, यहां भी पवार का दिल नहीं पसीजा। कोलकाता के क्रिकेट प्रेमियों पर बाउंसर फेंक सीधे उन्हें बोल्ड कर दिया।

तैयारियों को लेकर कुछ ही ऐसी स्थिति अन्य क्रिकेट स्टेडियमों की भी की थी, पर उन्हें तो एक सप्ताह की मोहलत मिल गई। ये चार स्टेडियम इन शहरों में स्थित है-कोलंबो, हंबनबोटा, पाल्लिकेले, वानखेड़े। इनमें से वानखेड़े का स्टेडियम शरद पवार के गृह शहर मुंबई में है। तो फिर किसकी हिम्मत है कि वह मुंबई से मैच छिन लें।

सच में क्रिकेट की इससे बड़ी दुर्दशा और क्या हो सकती थी? और खासकर जब क्रिकेट का महाकुंभ भारत में हो तो फिर यह खेल प्रशंसकों के लिए दर्दनाक जख्म के सिवा क्या है? सच में जब कहीं राजनीति घुसती है तो वह घुन की तरह उसे चाट-चाटकर खत्म कर देती है। कुछ ऐसा ही लोग क्रिकेट प्रशासक बनकर खेल प्रेमियों को जख्मी कर उन्हें रूलाने पर उतारू हैं।

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