रविवार, 13 मार्च 2011

इस हार इतनी हाय-तौबा क्यों?

वर्ल्ड कप में यह पहली हार थी। पर, आदतन टीवी चैनल के स्वयंभू ‘स्मार्ट प्लेयर्स’ का गरजना शुरू हो गया। आलोचना के इस रेले में भला वेब और प्रिंट मीडिया भी कहां पीछे रहनेवाला था। फ्रंट पेज पर बड़े-बड़े अक्षरों में टीम इंडिया को जमकर कोसा गया। ब्लॉगर्स तो एक कदम और निकल गए और अपने-अपने ब्लॉग पर जमकर भड़ास निकाली।

यह सब देखकर एक आम क्रिकेट प्रेमी सिर्फ इन धुरंधरों पर हंस ही सकता है। इस हार से पहले क्रिकेट महाकुंभ में टीम ने चार मैचों में से तीन में जीत और एक टाई खेला था। इस दमदार प्रदर्शन के बदौलत टीम इंडिया क्वार्टर फाइनल में दस्तक दे चुकी थी। प्रोटियाज टीम के साथ यह जोर-आजमाइश की बारी थी। इस बार भाग्य विपक्षी खिलाड़ियों के साथ था और अंतिम ओवर में जीत छीन ले गए।

एक तरह से यह हार टीम इंडिया के लिए वेकअप कॉल थी। यदि टीम यह मैच जीत जाती तो फिर अपनी कमजोरियों पर इतना फोकस नहीं कर पाती, जो बेहद जरूरी है। यदि आप खुद को चैंपियन कहते हैं तो मैदान के बाहर और अंदर इसे साबित करना होता है। आशा है कि धोनी के धुरंधर अपनी गलतियों से सीख लेकर प्रशंसकों को नए साल का खूबसूरत सौगात देंगे।

कोई टिप्पणी नहीं: