अपना पराया
शनिवार, 13 सितंबर 2008
सफर
सफर में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में, तुम निकल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराके अगर तुम संभल सको, तो चलो।
1 टिप्पणी:
अनिता शर्मा (Anita Sharma)
ने कहा…
aap bahut hi achha likhte he
13 सितंबर 2008 को 3:57 am बजे
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aap bahut hi achha likhte he
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