शुक्रवार का दिन. मैदान में तीन योद्धा. हर योद्धा के पास अलग-अलग रणनीतिक कौशल हैं. निर्णायक कलाबाजी में कौन बाज़ी मारेगा, कोई नहीं जानता. एक ओर जूनियर बी अभिनीत 'द्रोण' है तो दूसरी और युवा दिलों के धड़कन इमरान खान की 'किडनैप' . दोनों की लड़ाई को दिलचस्प बनाने के लिए पड़ोसी मुल्क की 'रामचंद्र पाकिस्तानी' की मदद ली गयी है. महासंग्राम शुरू हो गया है. पहला दिन और फर्स्ट शो. और थोड़ी देर में खत्म हो गया सारा सस्पेंस. 'किडनैप' हिट रही, 'द्रोण' बुरी तरह पिटी और 'रामचंद्र पाकिस्तानी' को अपने क्लास के दर्शक मिले.
मीडिया ने किडनैप को सराहा. इमरान खान और मुन्ना भाई यानी संजय दत्त की खूब वाहवाही हुई. पर सबसे ज्यादा सुर्खियाँ बटोर ले गई 'यहाँ' मूवी से करियर की शुरुआत करने वाली hott गर्ल मीनिषा लाम्बा ने. बिकनी पोज में सीन देकर युवाओं का दिल चुरा ले गई वो. 'जिंदा' मूवी की थीम से मिलती-जुलती 'किडनैप' को पहले दिन खूब दर्शक मिले. पर द्रोण में दिनकर की उक्ती काम कर गई. 'सौभाग्य न सब दिन सोता है, देख आगे क्या होता है....' अभि के लिए दुर्भाग्य बनकर आई. कहाँ वे कृष के नायक रहे ऋतिक रौशन की तरह एक महानायक बनने का ख्वाब देख रहे थे, पर वे 'बस इतना सा ख्वाब' की तरह ख्वाब ही देखते रहे. प्रियंका चोपडा उनकी अंगरक्षक बनी. पर फ़िल्म में प्रियंका अंगरक्षक कम, शरीर की नुमाइश ज्यादा करते दिखी. बाकी का कचूमर केके मेनन ने दुष्टात्माओं का मसीहा बनकर कर दिया.
पर कहते हैं ना, दो बिल्ली की लडाई में तीसरा कोई कैसी बाजी मार लेता है, कोई इनसे सीखे. दोनों मूवी में रामचंद्र पाकिस्तानी दिल को सकूं देती है. एक सच्ची घटना पर आधारीत मूवी दिल को स्पर्श करती है. नंदिता ने अपना बेहतरीन अभिनय दिया है. खैर द्रोण, किडनैप और रामचंद्र पाकिस्तानी की जंग जारी है और ये अगले हफ्ते तक जारी रहेगी...
2 टिप्पणियां:
बिना फ़िल्म देखे तीन तीन फिल्मों की समीक्षा कैसे कर डाली आपने महानुभाव. मैं जानती हूँ कि आपने इनमे से एक भी फ़िल्म नही देखी और ऑफिस में ही सुन सुना कर समीक्षा टेप दी. यह सही नही है. फ़िल्म देखने की बाद ही अपनी धारणा बनाएं और फिन सही और निष्पक्ष समीक्षा करे. वैसे जिन्दा की थीम किडनेप में नही है...
मुझे द्रोना अच्छी लगी।
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