खेल में हार और जीत एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यह हर खिलाड़ी के जीवन में आता है। पर यदि कोई खिलाड़ी सिर्फ हार के बाद (हार का डर?) आगामी सीरीज (इंग्लैंड के खिलाफ) में आराम करने की चाहत दिखाए, उसे आप क्या कहेंगे। ऐसा ही कुछ हमारे कंगारू कप्तान रिकी पोंटिंग कर रहे हैं। एशेज में हार क्या मिली, रिकी ने आराम करने की घोषणा कर दी। खासकर उस हालात में जब टीम के प्रदर्शन और नेतृत्वशैली की जमकर आलोचना हो रही हो। हार के बाद सभी खिलाडिय़ों का आत्मविश्वास बुरी तरह डगमगा गया है। इस हालात में कप्तान को चाहिए था कि वह सामने आकर सभी खिलाडिय़ों को एक नई राह दिखाते। पर अफसोस! रिकी टीम की कमान छोड़कर भागते दिख रहे हैं।
एशेज सीरीज में 2-1 से हार से क्या मिली, ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट के बुरे दिन आने शुरू हो गए। पोंटिंग को आजीवन अब ऐसे ताज संभालना होगा, जिनकी वो कल्पना भी नहीं करना चाहेंगे। वे अब ऐसे दूसरे कप्तान बन गए हैं, जिन्हें एशेज सीरीज में दो बार इंग्लैंड के हाथों सीरीज हारने का दंश झेलना पड़ा। पंटर की कामयाबी के घोड़े उस वक्त तक आसमान में काफी तेजी से उड़ते रहे, जब टीम में शेन वार्न, मैक्ग्रा, गिली जैसे खिलाडिय़ों का साथ मिला।
बुढ़ाते खिलाड़ी को ढोने का जुआ आखिर कब तक चयनकर्ता खेलते, इसलिए टीम से वरिष्ठï और अनुभवी खिलाडिय़ों को संन्यास लेने पर मजबूर किया गया। टेस्ट क्रिकेट में दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले शेन वार्न ने खेल को विदाई दी। आईपीएल की चकाचौंध और बेशुमार पैसे ने एडम गिलक्रिस्ट और मैथ्यू हेडेन जैसे खिलाडिय़ों का कैरियर समय से पहले ही खत्म कर दिया। एंड्र्यू सायमंड्स को अनुशासनहीनता के चलते छुट्टी दे दी गई और टीम ने एक बेजोड़ और खब्बू खिलाड़ी को खो दिया।
इस सबके बीच नॉर्थ, ब्रैड हेडिन जैसे खिलाडिय़ों को टीम में मौका मिला, पर ये खिलाड़ी इन महान खिलाडिय़ों के कहीं भी आसपास नहीं दिखे। और पहली बार ऑस्ट्रेलिया को पिछले सात साल में टेस्ट रैंकिंग में चौथे पायदान पर खिसकना पड़ा। यदि टीम की रैंकिंग में गिरावट आए तो टीम इसे आगामी सीरीज में हासिल कर सकती है, किंतु कोई खिलाड़ी अपनी कमजोरी से मुंह छिपाए तो उस टीम का पराभव निश्चित है। शायद अब ऑस्ट्रेलिया की बादशाहत खतरे में पडऩे के साथ-साथ कमजोर और रीढ़हीन भी हो गई है।
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