बच्चे मन के सच्चे, सारे जग के आंखों के तारे
ये जो नन्हें फूल हैं, भगवान को लगते प्यारे.......
गुनगुनाती एक मासूम लड़की जब टीवी पर आती है तो एक पल के लिए हर किसी की नजर ठहर जाती है। मासूम मुस्कान, गालों पर डिंपल और सबको सम्मोहित करती आवाज हर किसी के लिए कुछ कह जाती है। ऐसा लगता है मानो भगवान खुद हमारे दिल में मिस्री घोल रहा है।
किंतु, हर सपने सच नहीं होते और हर यह सपना भी कहीं न कहीं दम तोड़ रहा है। हमारा समाज न जाने कहां से कहां पहुंच गया, पर हमारी सोच बस वहीं पर पड़ी है। पहले भारत और अब चीन में बेटियां बेमौत मारी जा रही है। हालात यह है कि उसे धरती पर पर्दापण से पहले ही खत्म कर दिया जाता है। चीन जैसे दुनिया के सबसे बड़ी आबादी वाले देश में हालात यह है कि लड़कियां समाज और परिवार के लिए बोझ बन गई है।
चीन में एक बच्चे की नीति के चलते लड़कियों की संख्या लड़कों की तुलना में काफी कम होती जा रही है। सामाजिक असंतुलन के चलते मानव व्यापार और लड़कियों के अपहरण का धंधा भी खूब फल-फूल रहा है। छोटी उम्र की लड़कियों को पहले अगवा किया जाता है और फिर उसे बेचकर ऊंची कीमत वसूली जाती है। दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले कम्युनिस्ट देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक बच्चे का नियम लागू है। यानी किसी भी जोड़े को बस एक ही बच्चा पैदा करने की इजाजत है। अधिकतर दंपत्ति बेटा ही चाहते हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में भ्रूण हत्या की जाती है।
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चीन में 124 लड़कों पर 100 लड़कियां पैदा हो रही है। एक राज्य में तो यह 192 लड़कों पर 100 लड़कियों का है। इसी वजह से तस्करी के बाजार में लड़कियों की ऊंची कीमत लगती है। यहां तक व्यापार का यह धंधा म्यांमार, लाओस और वियतनाम तक फैला गया है।
इस हालात में एक मन चीखता है कि आखिर कब चेतेगी यह दुनिया और कब जागेगा हमारा समाज? हर संतान की उत्पति तो नारी से होती है। और अगर यह नारी प्रजाति ही खत्म हो गई तो फिर समाज को चलाने वाले ऐसे लोग आएंगे कहां? कहने को हर क्षेत्र में नारी उत्थान की चर्चा होती है, पर क्या यह उत्थान हमारे परिवार में हो रहा है। दिल पर हाथ रखकर कहने वाले शायद कुछ फीसदी ही लोग मिलेंगे। पर क्या इससे हमारा समाज जीवित रह पाएगा?
1 टिप्पणी:
गम्भीर चर्चा की आपने। आभार।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
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