शनिवार, 27 जून 2009

मौत ने बनाया विलेन को हीरो

पॉप सिंगर माइकल जैक्सन नहीं रहे। इस खबर ने हर किसी को अंदर से झकझोर दिया। वैसे तो हर मौत दुखदायी होती है, पर यदि कोई अपना हमसे बिछुड़ता है तो मानो गमों का पहाड़ टूट पड़ता है। पर क्या किसी की जिंदगी का मूल्यांकन उसकी मौत के बाद ही करना सही है? पॉप जगत के शहंशाह रहे जैक्सन के साथ ही कुछ ऐसा हो रहा है।

भले ही माइकल की मौत की वजह पर संशय का बाजार कितना ही गरम क्यों न हो? पर एक बात मन में उथल-पुथल मचा रही है। आखिर क्या माइकल मरने के बाद ही इतने महान हुए? जैक्सन अचानक प्रेरणास्रोत कैसे बन गए? कुछ दिन पहले जैक्सन का कोई नाम नहीं लेना चाहता था, वह लोगों के लिए आइकॉन कैसे बने? हमारे समाज में किसी को आसमान पर चढ़ाना और फिर जमीन पर पटकना आम रीति है। पर हम भूल जाते हैं कि कहीं न कहीं उसकी सफलता या असफलता के लिए हम भी जिम्मेदार हैं।

मजदूर परिवार में जन्मे जैक्सन ने सफलता की कई गाथाएं लिखी। पर इसके बाद क्या? माइकल पर बच्चों के साथ यौन शोषण के अमर्यादित आरोप लगे? किन्हीं ने उन्हें समलैंगिक बताया तो किसी ने उन्हें दुराचारी कहा? अदालत ने उन्हें निर्दोष करार दिया, पर उनके चरित्र पर लगा दाग हमेशा के लिए रह गया। आरोपों की झड़ी सी लग गई और एक समय सबसे अमीर पॉप स्टॉर कर्ज की दलदल में धंसता चल गया।

और जब उनकी मौत (हॉर्ट अटैक से?) हुई तो खबर सुनते ही दुनिया भर में प्रशंसक सदमे में हैं। क्या इंसानियत का यही धर्म है जब कोई शोहरत की बुलंदी को छुए तो उसकी आरती उतारो और फिर बाद में असफल होते ही.........। आज मीडिया जगत में जैक्सन पर ढेर सारे लेख लिखे जा रहे हैं। पर यही जैक्सन कुछ दिन पहले गुमनामी की जिंदगी जी रहे थे। पत्नी से तलाक, धर्म परिवर्तन और कर्ज में डूबने जैसी खबर मीडिया की सुर्खिया बनी, पर इससे जैक्सन को लाभ के बदले हमेशा नुकसान ही हुआ। और अब जैक्सन हमारे बीच नहीं रहे, एक विलेन अचानक हमारे बीच हीरो बन गया। आखिर क्यों?????

1 टिप्पणी:

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

सच कहा आपने,
ये संसार के लोगो की प्रवृत्ति समझ मे नही आती,
जिस आदमी के जीवित होने पर नफ़रत करेंगे उसे ही हीरो बना देते है मरने के बाद
सहानुभूति व्यक्त करने का ये तरीका सही नही है..